मणिपुरा  चक्र – धन प्राप्ति करने का रास्ता

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Article By Dr. Satinder Maken

हमारे शरीर में सात चक्र विध्यमान है | जहाँ जहाँ हमारा स्थूल शरीर सूक्ष्म शरीर के साथ सम्पर्क में आता है वहीं चक्र विद्यमान होते है |

प्रत्येक चक्र के क्रियाविन्त होने पर मानव को विशेष प्रकार के गुणों की प्राप्ति होती है

आज यहाँ आज  मणिपुर चक्र की बात करेंगे | प्रत्येक व्यक्ति को जीवनयापन के लिए अर्थ की आवश्यकता होती है परन्तु बहुत बार देखा गया है की कुछ व्यक्ति कितना भी परिश्रम क्यों न कर ले पर धन की कमी सदा ही बनी रहती है

जैसे यदि किसी वृक्ष की जड़ों को खाद एवं जल दिया जाये तो पोषण स्वयं ही उसकी शाखाओँ तथा पत्तो तक पहुँच जाता है | आपको एक एक पत्ते एवं शाखा को जल  एवं खाद देने की आवश्यकता नहीं है सिर्फ जड़ की देखभाल ही करेंगे तो पूरा वृक्ष स्वयं ही पोषित हो जायेगा इसी प्रकार यदि आप अपने मणिपुर  चक्र को पोषित कर लेंगे तो धन स्वयं ही आपका तरफ आकर्षित होने लगेगा |

आईये सबसे पहले मणिपुर चक्र के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें जान लेते है

मणिपुर चक्र तीसरा चक्र है तथा इसका स्थान नाभि से दो अंगुल ऊपर की तरफ होता है |

इसका रंग पीला है तथा इस चक्र का मन्त्र  “रं” है |  इसकी दस पंखुरियाँ है

अब हम जानते है किस प्रकार हम अपने मणिपुर चक्र को मजबूत बना सकते है जिस से कि साधक की संकलपशक्ति दृढ़ होती है तथा जो भी प्राप्त करना चाहे उसमे सफलता हासिल होती है

यदि आप अपने मणिपुर चक्र को जागृत करना चाहते है तो उसके लिए नियमित तौर पर अभ्यास करना आवश्यक है अन्यथा परिणाम मिलने संभव नहीं है |

यदि आप नियमित रूप से इस चक्र की साधना करेंगे तो अवश्य ही परिणाम प्राप्त होंगे |

मणिपुर चक्र को जागृत करने के लिए निम्न प्रयास करने होंगे

  • इस चक्र का रंग पीला है तो पीले वस्त्र धारण करें | यदि रोज़ाना पीले वस्त्र न पहन पाएं तो पीले रंग का रुमाल रख सकते है या पीला धागा भी बांध सकते है |
  • रोज़ाना कोई एक पीला खाद्य पदार्थ जरूर खाएं जैसे की लड्डू इतियादी |
  • दोपहर के खाने में गुड़-चावल जरूर खाये, ये मणिपुर चक्र का भोजन है |
  • रात को सोने से पहले सीधे विश्राम में लेट जाये | अपनी नाभि में सरसो का तेल ढालें | फिर धीरे धीरे उंगलियों से उस तेल से नाभि के चारों ओर मालिश करें जब तक की सारा तेल त्वचा सोख न ले | आंख बंद रखें तथा अपना पूरा ध्यान नाभि चक्र पर रखें |
  • प्रतिदिन कपालभाति प्राणायाम करें | कपालभाति प्राणायाम करते समय जब नाभि को एक झटके के साथ अंदर सिकोड़े तो साथ में “हू” की ध्वनि  करें | यह ध्वनि इस तरह से करें की नाभि पर इसकी चोट महसूस होनी चाहिए | मणिपुर को जागृत करने में ये हथोड़े का काम करेगी |
  • इसके बाद वज्रासन में बैठ जाये | रीढ़ एवं गर्दन सीधी रखें | हाथों को साइड पर रखें | आंख को बंद करें तथा पूरा ध्यान नाभि चक्र पर रखें | धीरे धीरे आगे की तरफ झुकना शुरू करें, धीरे धीरे सिर को जमीन पर लगा ले और माथा टेकने की मुद्रा में आ जाएं | इस पूरी क्रिया में ध्यान नाभि पर ही रहे | इस स्थिति में जितनी देर भी ठहर सकें, उतना ही अच्छा | फिर धीरे धीरे सिर को उठाये और सीधे बैठ जाएं | कुछ ही दिनों में आप अपने नाभि केंद्र में ऊर्जा को महसूस कर पाएंगे | ये एक बहुत ही अच्छा अनुभव होगा | आप ऊर्जावान महसूस करेंगे |
  • मणिपुर चक्र का मन्त्र है “रं ” | प्रतिदिन इसका जाप करें | इसका उच्चारण शुद्ध होना चाहिए | इसके लिए आपको यटूयब पर बहुत से लिंक मिल जायेंगे | यदि आप जाप नहीं भी कर पा रहे है तो इन लिंक्स को डाउनलोड कर ले और उस के साथ साथ उच्चारण करें | 
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यदि आप ऊपर वर्णित साधन प्रतिदिन नियमित रूप से पालन करेंगे तो कुछ ही दिनों में आप स्वयं को ऊर्जा एवं आत्मविश्वास से भरा हुआ पाएंगे तथा आपको धन कमाने के भी नए अवसर भी मिलेंगे |

यदि आप मणिपुर से संबधित कोई प्रश्न पूछना चाहते है तो हमें जरूर लिखें | हम आपकी भरपूर सम्पनता की कामना करते है |

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