Article By Dr. Satinder Maken
संतो ने कहा है ‘साँस साँस सिमरो गोविन्द’ अर्थात हर साँस के साथ परमात्मा का सिमरन करो | लेकिन इसके लिए अभ्यास चाहिए | और अभ्यास के लिए एकाग्रता चाहिए | जाप के प्रथम चरण में जिह्वा से मन्त्र का उच्चारण किया जाता है | जाप किस मन्त्र का करना है ये आप पर निर्भर करता है विभिन लोग अपने आराध्य का नाम जपते है जैसी राम , हरे कृष्णा | कुछ विभिन्न मंत्रो का जाप करते है आप जो भी जाप करें, आपको कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखे तो आपको मन वांछित फल प्राप्त होगा |
१. जिस भी इच्छा के साथ जाप कर रहे है उस के लिए अपने मन में प्रबल धारणा बना ले कि मेरी ये कामना प्रभु अवश्य ही पूरी करेंगे |
२. जाप पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास के साथ करें |
३. जाप करने के लिए एक निश्चित समय एवं स्थान तय करें | ऐसा करने से उस वक़्त एवं स्थान की तरंगे भी आपको एकाग्र होने में सहायता करती है |
४.एक ही आसन में बैठे | रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी रहे | पीठ के पीछे एवं घुटनो के नीचे तकिये लगा सकते है ताकि सुखपूर्वक बैठा जा सके |
५. एक लोटे में साफ़ जल भर कर अवश्य ही पास रखें | जाप के बाद इस जल को पी ले |
६. ऑंखें बंद रखें | कानों को रुई या ईयर प्लग से बंद कर ले | धीरे धीरे जाप करें और जो बोल रहे है उसे ध्यान से सुने |
७. जिह्वा जाप करे और मन उस जाप को सुने तभी ही जाप सफल होगा अन्यथा मन इधर उधर ही भटकता रहेगा | यदि आप मन को जाप सुनने में लगाएंगे तो मन नहीं भटकेगा |
८. माला जपने के लिए मध्यमा उंगली और अंगूठे का प्रयोग किया जाना चाहिए इस से मस्तिष्क की तरंगे क्रियान्वित होती हैं और ध्यान को प्रबल करती है | माला फेरने में कभी भी तर्जनी का प्रयोग न करे |
९. जिस भी आराध्य का जाप कर रहे है उसी से संब्धित माला ले |
माला का महत्व
१. मन्त्र जप की संख्या में कोई त्रुटि न हो इसलिए जाप करते वक़्त माला का प्रयोग किया जाता है
२. माला के साथ जाप करने से मन एकाग्र होता है
३. एक ही माला से जब तक हो सके जाप करने चाहिए क्योकि लगातार एक ही माला से जाप करने से माला में अभिमंत्रित हो जाती है और ध्यान को एकाग्र करने में सहायक होती है |
माला का चुनाव
विभिन्न मंत्रो के लिए विभिन्न प्रकार की मालाओं का प्रावधान है | इसलिए यदि हम मन्त्र के अनुरूप माला का चुनाव करेंगे तो मन वांछित फल मिलने में सहायता होगी |
१. रुद्राक्ष माला : रुद्राक्ष की माला भगवान् शिव को बहुत ही प्रिय मानी जाती है भगवान् शिव से संबधित किसी भी मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए | महामृत्युंजय और लघुमृत्युंजय के जाप में भी सिर्फ रुद्राक्ष की माला का ही उपयोग करना चाहिए | वैसे रुद्राक्ष की माला किसी भी जाप में प्रयोग में लाई जा सकती है | रूद्राक्ष की छोटे दानों की माला अधिक शुभ मानी जाती है।
२. कमलगट्टे की माला: महालक्ष्मी मन्त्र के जाप में कमलगट्टे की माला का प्रयोग अति उत्तम माना जाता है | कमलगट्टे की माला से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन प्राप्ति का मार्ग खुलता है। अक्षय तृतीया, दीपावली, अक्षय नवमी के दिन इस माला से कनकधारा स्तोत्र का जप करने वाले को धनलाभ के अवसर मिलते रहते हैं।
३. स्फटिक की माला
स्फटिक की माला का प्रयोग भी माँ लक्ष्मी के मन्त्र जाप के लिए ही किया जाता है | यह माला मन्त्र सिद्धि के लिए अति उपयुक्त है | इसकी माला से किसी मंत्र का जप करने से वह मंत्र शीघ्र ही सिद्ध हो जाता है। स्फटिक की माला को भगवती लक्ष्मी का रूप माना जाता है। इससे जहां लक्ष्मी की प्राप्ति होती है वहीं शुक्र ग्रह के दोष दूर भी होते हैं। स्फटिक के उपयोग से दु:ख और दारिद्र नष्ट होता है। मां अम्बा की उपासना करने के लिए स्फटिक की माला का प्रयोग भी किया जाता है।
४. सफ़ेद तुलसी की माला : सफ़ेद तुलसी की माला का प्रयोग विशेष रूप से श्री कृष्ण के जाप के लिए किया जाता है | श्री कृष्ण के जाप के लिए सफ़ेद तुलसी की माला को ही अति उत्तम माना गया है | तुलसी की माला में विद्युत शक्ति होती है। इस माला को पहनने से यश, कीर्ति और सौभाग्य बढ़ता है। शालग्राम पुराण में कहा गया है तुलसी की माला भोजन करते समय शरीर पर होने से अनेक यज्ञों का पुण्य मिलता है। तुलसी की माला पर कभी भी देवी और शिव जी के मन्त्रों का जप नहीं करना चाहिए।
.५. हल्दी की माला : हल्दी की माला से भगवान गणेश और बृहस्पति देव के सभी मंत्रों का जप कर सकते हैं। उपरोक्त माला से यदि बगलामुखी मंत्र का जाप करते हैं तो शत्रु बाधा निवारण होगा। बृहस्पति के मंत्रों का जप करते हैं तो जीवन में सुख और शांति आएगी। गणेशजी के मंत्रों का जप करते हैं तो सभी तरह के कष्ट मिटेगें और नौकरी एवं व्यापार में लाभ होगा हल्दी की माला भाग्य दोष का हरण करती है। हल्दी की माला धन एवं कामनापूर्ति और आरोग्यता के लिए श्रेष्ठ है।
ध्यान रखने योग्य बातें
१. माला फेरते समय सिर्फ अंगूठे तथा मध्यमा का प्रयोग करें | कभी भी तर्जनी का प्रयोग न करें |
२. माला के मनको के बीच सदा गांठ होनी चाहिए |
३. चलते फिरते जाप करने का कोई भी लाभ नहीं होता | जाप एक जगह एकांत में बैठ कर एकाग्रता पूर्ण करें |
४. एक माला पूरी होने पर उसे वापिस घुमा ले |आखिरी दाने से अगला चक्र शुरू करें |