हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी में, जहाँ हर कोई भाग-दौड़ में लगा है, कभी करियर के लिए, कभी रिश्तों के लिए, तो कभी सिर्फ खुद को साबित करने के लिए वहाँ दो ऐसे भाव हैं जो हमारे जीवन में स्थिरता और सच्ची खुशी ला सकते हैं: कृतज्ञता (Gratitude) और सराहना (Appreciation)।
कृतज्ञता का अर्थ है उन छोटी-छोटी बातों के लिए आभार जताना, जिन्हें हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं—जैसे सुबह की चाय की चुस्की, माँ की ममता भरी आवाज़, या किसी दोस्त की मुस्कान। जब हम इन पलों को महसूस करना शुरू करते हैं, तो हमें एहसास होता है कि हमारे पास बहुत कुछ है जिसे लेकर हम आभारी हो सकते हैं। कृतज्ञता जीवन को सरल और सुंदर बना देती है।
वहीं सराहना एक और स्तर है—यह केवल अपने भीतर आभार महसूस करने की बात नहीं है, बल्कि सामने वाले को यह जताने की बात है कि हम उनके प्रयासों को मानते हैं, उन्हें महत्व देते हैं। और यही वह जादू है जो लोगों को बदलने की ताकत रखता है।
हम अक्सर किसी की गलती पर तुरंत टिप्पणी कर देते हैं, आलोचना कर देते हैं, लेकिन जब हम किसी की छोटी सी कोशिश को भी सराहते हैं, तो उसका असर लंबे समय तक रहता है। उदाहरण के तौर पर, एक विद्यार्थी अगर पढ़ाई में पीछे है और आप उसे बार-बार डाँटते हैं, तो उसका आत्मविश्वास और मनोबल टूट सकता है। लेकिन अगर आप उसकी एक अच्छी कोशिश जैसे ‘किसी उत्तर को सोच-समझकर देना या कॉपी को साफ़ रखना’ की सच्चे मन से तारीफ़ करते हैं, तो वह खुद को और बेहतर करने के लिए प्रेरित होता है। यही एक शिक्षक की असली जीत है।
रिश्तों में भी यह भावनाएँ चमत्कार कर सकती हैं। एक पति अगर अपनी पत्नी के छोटे-छोटे कामों की तारीफ़ करता है—जैसे समय पर नाश्ता तैयार करना या बच्चों की देखभाल करना—तो रिश्ते में आत्मीयता बढ़ती है। एक बेटा अगर अपने माता-पिता की मेहनत के लिए आभार प्रकट करे, तो उनका जीवन भी संवर जाता है। यह सिर्फ शब्द नहीं होते—ये रिश्तों की डोर को मज़बूत करने वाली गांठें होती हैं।
आजकल की व्यस्त और डिजिटल दुनिया में, जहाँ लोग एक-दूसरे को देखने से ज़्यादा स्क्रीन को देख रहे हैं, ऐसे में अगर हम थोड़ी कृतज्ञता और थोड़ी सराहना की आदत डाल लें, तो न केवल हमारा खुद का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होगा, बल्कि हमारे आस-पास के लोगों की ऊर्जा भी सकारात्मक हो जाएगी।
ज़िन्दगी में समस्याएँ रहेंगी, चुनौतियाँ रहेंगी, पर यदि हम हर दिन कुछ अच्छा खोजने की कोशिश करें और उसे खुलकर सराहें, तो जीवन जीने लायक बन जाता है। क्योंकि अंततः, यह जरूरी नहीं कि सब कुछ परफेक्ट हो जरूरी ये है कि हम उसमें सुंदरता देख सकें।
क्या आप भी आज किसी की धन्यवाद बोलेंगे या फिरसराहना करेंगे?
क्योंकि कभी-कभी एक छोटा सा “शुक्रिया” या “तुमने अच्छा किया” किसी की ज़िन्दगी बदल सकता है।