An Article By Dr. Satinder Maken
“जैसा चाहो वैसा ही हो” अर्थात तथास्तु | हम सब चाहते है कि ऐसी कोई शक्ति हमारे पास हो कि जिस वस्तु की इच्छा करें वो मिल जाये |
इसमें सबसे जरुरी बात है कि हम चाहते क्या है जाहिर सी बात है कि सब अच्छा ही चाहते है अच्छी जिंदगी, अच्छी सेहत, अच्छा कैरियर, अच्छा जीवनसाथी, अच्छी संतान, अच्छा घर, अच्छी आमदनी, अच्छे पड़ोसी, अच्छा समाज , अच्छी सरकार, अच्छा देश और भी बहुत कुछ लेकिन अच्छा चाहने के बाद भी सब अच्छा नहीं होता | कुछ न कुछ कमी रह ही जाती है | निदा फ़ाज़ली के शब्दों में ‘कभी किसी को मुकम्मल जहां नही मिलता, कहीं जमी तो कहीं आसमा नही मिलता’ | तो फिर क्या किया जाये ज्यादा इच्छाएं न रखी जाएँ और जो मिला है उसी में ही संतुष्ट रहा जाये या फिर और ज्यादा पाने के लिए प्रयत्न किये जाये |
कुछ बौद्धिक लोग कहेंगे कि जो मिले उसी में संतोष कर लेना चाहिए और खुश रहना चाहिए परन्तु यदि इसे मान लिया जाये तो ये कर्म का सिद्धांत से विरोधाभास हो जायेगा क्योँकि हमारे ग्रन्थों ने कर्म के सिद्धांत पर बहुत ही अधिक बल दिया है | गीता में भी कर्म योग को महत्वपूर्ण माना गया है सभी योगो में कर्म योग सबसे सर्वश्रेष्ठ योग है यदि हम अपने आस पास सब अच्छा चाहते है तो अच्छे कर्म करने से ही सब अच्छा होगा |
अच्छे कर्म करने के लिए इंसान में अच्छी आदतें होना बहुत जरुरी है समय पर सोना, समय पर जागना, समय पर खाना, ताज़ा और जरुरत के अनुसार खाना, थोड़ा व्यायाम, थोड़ा आराम, कम बोलना, ज्यादा सुनना, समय पर अपने सारे काम निपटाना अर्थात एक सम्यक जीवन जीना, अच्छा सोचना, अच्छा बोलना, अच्छा व्यवहार करना, अच्छा खाना, अच्छा पहनना, अपने घर, कार्यस्थल एवं आसपास सफाई रखना ये छोटे छोटे प्रयास से आप एक अच्छा जीवन जी सकते है | ‘जैसा चाहते हो वैसा ही हो’ के लिए चाहत भी सम्यक होनी चाहिए | किसी का बुरा करने की चाहत तो गलत है | जो चाहो उसके लिए सही दिशा में प्रयास करना आवश्यक है | जैसे बूँद बूँद से तालाब भर जाता है उसी प्रकार छोटे छोटे लेकिन लगातार प्रयास करने से बड़े से बड़े लक्ष्य भी प्राप्त किये जा सकते है | सफलता के लिए निम्न बातों का पालन करें
- सफलता के लिए सबसे पहले एक स्पष्ट लक्ष्य होना बहुत जरुरी है अपने लक्ष्य जिसे आप प्राप्त करना चाहते है उसे स्पष्ट शब्दों में लिख ले जैसे कि नया घर , गाड़ी, पढ़ाई, प्रतियोगी परीक्षा, नौकरी, पदोन्नति, यात्रा या कुछ भी जो आप चाहें |
- दूसरा कदम अपने लक्ष्य की समय सीमा निर्धारित करें कि आप स्वयं को अपना लक्ष्य पूरा करने के लिए कितना समय दे रहे है कितने दिन, कितने महीने , कितने वर्ष इतियादी | याद रखें बिना समय सीमा के कोई भी लक्ष्य, लक्ष्य नहीं होता, वो सिर्फ इच्छा होती है और इच्छाएं हमेशा पूरी नहीं होती |
- तीसरा अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए एक रूपरेखा तैयार करें जैसे आप किसी यात्रा पर निकलने से पहले करते है | जैसे कि यात्रा का साधन रेलगाड़ी, बस, हवाई जहाज की अग्रिम बुकिंग, होटल बुकिंग्स, कहाँ कितने दिन रुकना है, कहाँ कहाँ घूमना है और जाने और वापिसी की तिथि, कार्यस्थल से अग्रिम अवकाश, धन की व्यवस्था, कपड़ो और जरूरी सामान की पैकिंग आदि इतियादी | बिलकुल इसी प्रकार अपने लक्ष्य की भी रूपरेखा विस्तार से बनाये | लक्ष्य पूरा करने के लिए कितना वक़्त, धन और प्रयास चाहिए | क्या क्या तैयारी करनी है | जैसे कोई परीक्षा की तैयारी करनी है तो समय सारणी बनाये | सिलेबस को निर्धारित समय में कितनी बार पढ़ना है तय करें | अपने बैठने और पढ़ने की जगह का निर्धारण करें | पुस्तकें तथा अध्ययन सामग्री की व्यवस्था करें अदि इतियादी | यदि कोई नया घर या गाडी लेना चाहते है तो उसके लिए कितना धन चाहिए कब चाहिए हर माह कितना जमा करना है कहाँ कहाँ से बचत की जा सकती है या कहाँ और कैसे अतिरिक्त कमाई की जा सकती है एक विस्तृत योजना बनाये |
- अपने लक्ष्य को छोटे छोटे पड़ावों में विभक्त कर लें | जब एक पड़ाव पूरा होता है तो ये अगले पड़ावों के लिए एक प्रेरणा का कार्य करता है इस से पूरी यात्रा का उत्साह बना रहता है
- जब भी कोई पड़ाव पूरा करें तो इस सफलता को सेलिब्रेट करें | यकीं माने अपनी सफलता के एक पड़ाव को पार करने का उत्साह आपकी अगली यात्रा के उत्साह को दुगना कर देगा |
- ऐसा नहीं है कि आपके लक्ष्य के रास्ते में कोई व्यवधान नहीं आएगा या कोई समस्या नहीं आएगी निश्चित तौर पर आएगी इसके लिए समय समय पर अपने लक्ष्य, अपनी प्रगति और योजना का विस्तृत रूप से अवलोकन करें तथा आवश्यक बदलाव भी करें, यदि कोई एक रणनीति काम नहीं कर रही तो उसे बदल दे कुछ नई तकनीक का प्रयोग करें | एक मंज़िल तक पहुँचने के कई रास्ते हो सकते है योजना ए नहीं काम कर रही तो योजना बी बनाये बस हिट एंड ट्रायल करते रहे कुछ तो काम करेगा ही |
इतना सब करने के बाद भी कई बार सफलता नहीं मिलती तो निराश न हो | याद रखें कि जो हमने चाहा था वो ही जिंदगी का आखिरी लक्ष्य नहीं है अल्लामा इक़बाल के अनुसार “सितारों से आगे जहाँ और भी हैं अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं “
नया लक्ष्य बनाये और चल पड़ें फिर से नयी यात्रा पर | तू नहीं और सही, और नहीं और सही की फिलॉसफी अपनाये और चलते रहें क्योँकि चलने का नाम ही जिंदगी है
तथास्तु | आपकी सभी इच्छाएं पूर्ण हो ऐसा आशीर्वाद है |
very nice satinder ji