कुछ तो खामियां हमारी शख्सियत में भी रही होंगी,
वरना हर शख़्स बेवफा निकले, ये तो मुमकिन नहीं |
मुलाकातों की वो शामें कितनी बेक़रार रही होंगी,
मग़र उस बेकरारी पर वो ज़रा भी ग़मगीन नहीं |
उसकी बेरूखी की कुछ तो वजह रही होगी,
किस पर शुब्हा करें, जब खुद पर ही यकीं नहीं |
तन्हाईआं भी इस कदर शोर मचाती होंगी,
ये इल्म न था,वरना होती महफ़िल की तौहीन नहीं |
माना कि ज़माने को बहुत सी शिकायतें रही होंगी,
पर इस सज़ा के लिए, इलज़ाम इतना भी संगीन नहीं |
तनहा है ज़िन्दगी का सफर राहें भी लम्बी रही होंगी,
थक गया हूँ ऐ खुदा, क्या तेरे पास मेरे लिए दो गज़ ज़मीन नहीं |
सत्या माकन