“कुछ तो वजह रही होगी”

Satya Maken

कुछ तो खामियां हमारी शख्सियत में भी रही होंगी,

वरना हर शख़्स बेवफा निकले, ये तो मुमकिन नहीं |

मुलाकातों की वो शामें कितनी बेक़रार रही होंगी,

मग़र उस बेकरारी पर वो ज़रा भी ग़मगीन नहीं |

उसकी बेरूखी की कुछ तो वजह रही होगी,

किस पर शुब्हा करें, जब खुद पर ही यकीं नहीं |

तन्हाईआं भी इस कदर शोर मचाती होंगी,

ये इल्म न था,वरना होती महफ़िल की तौहीन नहीं |

माना कि ज़माने को बहुत सी शिकायतें रही होंगी,

पर इस सज़ा के लिए, इलज़ाम इतना भी संगीन नहीं |

तनहा है ज़िन्दगी का सफर राहें भी लम्बी रही होंगी,

थक गया हूँ ऐ खुदा, क्या तेरे पास मेरे लिए दो गज़ ज़मीन नहीं |

सत्या माकन

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