दीपावली की पूर्व संध्या पर, सुर ज्ञान संगीत अकादमी और तथास्तु फाउंडेशन ने एक विशेष सांगीतिक कार्यक्रम का आयोजन रॉयल स्पून पार्टी लॉन, जुनपत ग्रेटर नोएडा में किया, जिसमें सुरों के दीपक जलाकर दिवाली का उत्सव मनाया गया। यह कार्यक्रम संगीत की मृदुल ध्वनियों से भरा हुआ था, जहां सुर ज्ञान संगीत अकादमी के संचालक श्री सुनील प्रताप सिंह और उनके शिष्यों ने अपने अद्भुत गायन और वादन से उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर, भारतीय शास्त्रीय संगीत के विभिन्न रागों पर आधारित प्रस्तुतियों ने समारोह में एक अद्वितीय मिठास घोल दी। राग यमन से लेकर राग भैरवी तक, प्रत्येक राग ने दर्शकों के मन को छू लिया और उन्हें शांति एवं सुकून का अनुभव कराया। कार्यक्रम की शुरुआत दीपक जलाकर हुई, जिसमें भगवान से ज्ञान और संगीत के माध्यम से प्रकाश का आह्वान किया गया। इसके पश्चात सुरों की यह यात्रा अनवरत चलती रही, जहां रागों के माध्यम से दिवाली के उजाले और सांस्कृतिक धरोहर की सुंदरता को बखूबी प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम का आयोजन तथास्तु फाउंडेशन द्वारा प्रायोजित किया गया, जो कि मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम कर रही है। फाउंडेशन के संस्थापक डॉ सतिंदर माकन ने अपने वक्तव्य में कहा, “संगीत आत्मा का भोजन है और इस दिवाली हम अपने दिलों में शांति और प्रसन्नता का दीप जलाने के लिए संगीत का सहारा ले रहे हैं।”
यह आयोजन सामाजिक सौहार्द और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया, जहाँ संगीत के माध्यम से मानसिक सुकून और शांति प्रदान की गई। तथास्तु फाउंडेशन का यह प्रयास दर्शाता है कि कैसे कला और सेवा के संगम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
कार्यक्रम की एक विशेष बात यह रही कि सुर ज्ञान संगीत अकादमी में हर उम्र के लोग संगीत सीखते हैं, छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक। इस विविधता ने आयोजन को और भी अनोखा और समृद्ध बना दिया। हर वर्ग के गायकों ने इस अवसर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया, जिससे कार्यक्रम में सभी पीढ़ियों की भागीदारी सुनिश्चित हुई।
नन्हे-मुन्ने बच्चों ने जहां बाल-सुलभ मासूमियत के साथ अद्भुत गायन प्रस्तुत किया, वहीं प्रौढ़ प्रतिभागियों ने यह साबित किया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। युवा गायकों ने आधुनिक और शास्त्रीय संगीत का संगम प्रस्तुत करते हुए अपनी ऊर्जा और समर्पण का प्रदर्शन किया, जो दर्शकों के बीच खासा लोकप्रिय रहा।
हर आयु वर्ग की इस सहभागिता ने यह सिद्ध किया कि संगीत की कोई सीमा नहीं होती और यह सभी के लिए समान रूप से प्रेरणादायक होता है। दर्शकों ने न केवल गायकों की प्रस्तुति का आनंद लिया, बल्कि विभिन्न उम्र के कलाकारों के जोश और उत्साह ने सभी को आपस में जोड़ने का काम किया।
कार्यक्रम में बुजुर्ग कलाकारों ने श्रोताओं को यह संदेश दिया कि संगीत सीखने की कोई उम्र नहीं होती, जबकि छोटे बच्चों ने अपनी मासूमियत और उत्साह से कार्यक्रम को जीवंत कर दिया। इस प्रकार, सुर ज्ञान संगीत अकादमी का यह दिवाली आयोजन हर उम्र के संगीत प्रेमियों के लिए एक विशेष अनुभव बन गया।
दर्शकों ने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि यह दीपावली के अवसर पर एक यादगार अनुभव था, जहाँ संगीत के सुरों ने चारों ओर एक अद्भुत माहौल बना दिया।