
स्त्री-तेरा होना ही कविता है
Dr. Mamta Sharma वो स्त्री… जिसे ज़रूरत नहीं दुनिया की चकाचौंध की, दिखावे की।वो जो हर दिन अपनी मौन शक्ति में संवरती है — बिना किसी शोर, बिना किसी स्वांग के।जिसके लिए श्रृंगार सिर्फ उसके सत्य का उजाला है, और उसकी मुस्कान — उसकी आत्मा की शांति का प्रतिबिंब। वो कोई साधारण स्त्री नहीं है।उसकी…